मेरी कहानी​

Kumar Shyam Photo
है कोई जो बताए शब के मुसाफ़िरों को
कितना सफ़र हुआ है कितना सफ़र रहा है !
- शहरयार

अपने बारे में लिखना दुनिया के तमाम कठिन कार्यों में से एक है। जीवन में क्या घट चुका है और क्या घट रहा है उसे शब्दों में अभिव्यक्त करने का कौशल मुझमें नहीं है। बहुत छोटा जीवन है। इसी दायरे में कुछ छोटे-छोटे से काम हैं। जो आपको बता देता हूं।

जन्म राजस्थान के एक ख़ूबसूरत से गांव में साल 1998 की तारीख़ 15 जुलाई को हुआ। पहली से बारहवीं तक की शिक्षा गांव में ही हुई। आठवीं तक सरकारी स्कूल में और अगली चार कक्षाएं एक प्राइवेट स्कूल में पूर्ण कीं। दसवीं साल 2013 में उत्तीर्ण की तो वहीं बारहवीं साल 2015 में। स्ना‍तक की पढ़ाई के लिए नज़दीकी शहर के एक कॉलेज़ में दाखिला लिया। साल 2018 में महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय, बीकानेर से स्नातक की डीग्री हासिल की। फिलहाल पत्रकारिता की पढ़ाई कर रहा हूं।

विद्यालय से निकल जाने के बाद कई काम किए। लेकिन इनमें महत्वपूर्ण अध्यापन कार्य था। जहां पर बहुत कुछ सिखने-सीखाने को मिला। इसके साथ-साथ सामयिक मुद्दों पर फ़ेसबुक पर लगातार लिख रहा था। लेकिन वीडियो के माध्यम से अपने विचार प्रकट करने का ख़्याल बहुत पहले से था। साकार हुआ 07 अगस्त 2017 को।

अब यूट्यूब पर वीडियो बनाता हूं। इस माध्यम से देश-दुनिया के राजनीतिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक मामलों पर अपनी राय रखता हूं। दरअसल मैं इस प्रयास को देश की मीडिया द्वारा निरंतर फैलाए जा रही झूठी ख़बरों एवं साम्प्रदायिक सामग्री के विकल्प के रूप में देखता हूं।

मेरा शौक किताबें हैं। अपनी छोटी-सी लाइब्रेरी है घर पर। जिसमें एक-एक कर हजारों किताबें जमा की हैं। उन किताबों की पनाह ने दुनिया को बेहतर एवं सूक्ष्म दृष्टिकोण से देखने और समझने का सलीक़ा दिया है। मेरी साहित्य में ख़ासी रूचि रही है। अनेक कहानियां, कविताएं, ग़ज़लें और डायरियां लिखी हैं जो कई प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में छपी हैं।

इसके अलावा सीखते रहने और ख़ुद के विस्तार की निरंतर क़ोशिश करता हूं। पत्रकारिता मेरा ज़ुनून है। जिसका माध्यम मैंने यूट्यूब चुना। जहां आपका प्यार और साथ भरपूर मिल रहा है।

इस छोटे-से सफ़र में मेरा हमसफ़र साथ रहा है, जो आज भी हाथ थामें साथ बना है। वो उदास वक़्त में कभी कंधा बना है तो कभी नीरस रातों में तकिया। लेकिन मेरी ऊर्जा है।

इतनी-सी है मेरी इश्क़ज़ादी ज़िंदगी।